देहरादून राज्य में मानसून 20 जून के आसपास पहुंचता है, लेकिन इस बार देश में मानसून के 8 दिन पहले केरल में प्रवेश करने के चलते उत्तराखंड में भी इसका समय से पहले आगमन संभव है।
मौसम विभाग के अनुसार, यदि मानसून की गति बनी रही, तो यह 10 से 15 दिनों के भीतर उत्तराखंड में प्रवेश कर सकता है।
मौसम विज्ञान केंद्र देहरादून के निदेशक डॉ. विक्रम सिंह के मुताबिक, मानसून इस बार अधिक समय तक सक्रिय रहेगा और राज्य में सामान्य से अधिक वर्षा होने की संभावना है। इसके चलते पर्वतीय जिलों में भूस्खलन, चारधाम यात्रा में व्यवधान और पर्यटन पर असर पड़ने की आशंका जताई गई है। ऐसे में जिला प्रशासन और राज्य सरकार के लिए समय से पहल तैयारियां पूरी करना चुनौतीपूर्ण रहेगा। मौजूदा मई महीने में ही उत्तराखंड में औसत से 86 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है, जो कि मानसून पूर्व संकेतों में गंभीर बदलाव को दशार्ता है। पूरे सीजन की बात करें तो अब तक 36 प्रतिशत अधिक वर्षा रिकॉर्ड की गई है।
बारिश ने एक ओर जहां चिंता बढ़ाई है, वहीं गर्मी से राहत, पेयजल संकट में कमी, और वनाग्नि की घटनाओं में गिरावट जैसी सकारात्मक परिणाम भी सामने आए हैं। पर्वतीय क्षेत्रों में कई जल स्रोत पुनः सक्रिय हुए हैं और जंगलों में आग की घटनाएं बेहद कम दर्ज की गई हैं, जो राज्य के लिए एक बड़ी राहत है। हालांकि, रुक-रुक कर हो रही बारिश ने किसानों के लिए चुनौतियां जरूर खड़ी की हैं। मई जून का समय फसल बुवाई के लिहाज से अहम होता है, लेकिन असमय और अनियमित वर्षा ने खेती-बाड़ी के कामों में व्यवधान पैदा किया है। मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्षा की अवधि और वितरण में असमानता देखी जा रही है। कहीं बहुत ज्यादा बारिश तो कहीं बिल्कुल नहीं कृ यह प्रवृत्ति अब सामान्य होती जा रही है। हालांकि मौसम विभाग का यह भी कहना है कि पूर्व में भी मानसून के पहले आगमन की घटनाएं हुई हैं, इसलिए इसे केवल जलवायु परिवर्तन से जोड़ना जल्दबाजी होगी।