अमित शाह ने मणिपुर के मुख्यमंत्री और विधायकों से अलग-अलग चर्चा की

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बुधवार रात से नई दिल्ली में मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और मणिपुर के चार कैबिनेट मंत्रियों सहित छह मौजूदा विधायकों के साथ दो अलग-अलग बैठकें की. इसका उद्देश्य अस्थिर राज्य में सरकार बदलने की सभी आशंकाओं को खत्म करना था.

बीरेन सिंह और उनके चार कैबिनेट सहयोगी शाह द्वारा बुलाए जाने के बाद बुधवार रात राष्ट्रीय राजधानी पहुंचे. सूत्रों के अनुसार शाह ने अपने आवास पर बीरेन सिंह और अन्य भाजपा विधायकों के साथ दो अलग-अलग बैठकें की.

इस घटनाक्रम से जुड़े एक वरिष्ठ नेता ने ईटीवी भारत को बताया, ‘मणिपुर से टीम के अपने राज्य के लिए रवाना होने से पहले गृह मंत्री आज एक समूह बैठक भी कर सकते हैं.’ बीरेन सिंह और अन्य मंत्रियों और विधायकों का राष्ट्रीय राजधानी का दौरा विपक्ष की राज्य में बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने की रणनीति के बाद हुआ. भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को इस बात की चिंता है कि 60 सदस्यीय मणिपुर विधानसभा में कई भाजपा विधायक बीरेन सिंह के कामकाज का विरोध कर रहे हैं.

शाह का लक्ष्य सदन में किसी भी अविश्वास प्रस्ताव से बचने की रणनीतियों पर चर्चा करना है. गृह मंत्री ने राज्य की मौजूदा कानून व्यवस्था की स्थिति का भी जायजा लिया. दिलचस्प बात यह है कि दिल्ली पहुंचे चार कैबिनेट मंत्रियों में टी. विश्वजीत शामिल हैं, जो 2023 में भाजपा के लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए सत्ता में आने पर सीएम पद के दावेदार थे. भाजपा की सहयोगी नागा पीपुल्स फ्रंट (एनपीएफ) के कई विधायक भी राष्ट्रीय राजधानी में डेरा डाले हुए हैं.

कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दल राज्य की कानून व्यवस्था को संभालने में विफल रहने के लिए बीरेन सिंह सरकार के खिलाफ 10 फरवरी को विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव ला सकते हैं. 60 सदस्यीय विधानसभा में सत्तारूढ़ भाजपा के पास फिलहाल 37 विधायक हैं.

हालांकि, उनकी चिंता तब शुरू हुई जब पिछले साल 19 नवंबर को मुख्यमंत्री द्वारा बुलाई गई बैठक में कई विधायक शामिल नहीं हुए. भाजपा की सहयोगी एनपीपी ने छह विधायकों के साथ बीरेन सिंह से नाराजगी जताते हुए पहले ही समर्थन वापस ले लिया. दिलचस्प बात यह है कि एनपीपी प्रमुख और मेघालय के सीएम कॉनराड के संगमा ने भी अपनी पार्टी के समर्थन के लिए पूर्व शर्त के तौर पर बीरेन को बदलने की मांग की है.

कांग्रेस के नेतृत्व वाले प्रस्ताव को एनपीपी और कुछ बीरेन विरोधी, भाजपा और जेडी(यू) विधायकों का भी समर्थन मिलने की संभावना है. बीरेन सिंह सरकार द्वारा राज्य में शांति स्थापित करने में विफलता पर भाजपा के सात विधायकों सहित 10 कुकी विधायकों ने पहले ही अपनी नाराजगी व्यक्त की है.

इस सप्ताह की शुरुआत में पूर्व मुख्यमंत्री और विपक्ष के नेता ओकराम इबोबी सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुख्यमंत्री को राज्य विधानसभा के सदस्यों को डराने-धमकाने से बचने की सलाह देने का आग्रह किया था. इबोबी सिंह ने भल्ला से शिकायत की कि बीरेन सिंह ने पिछले महीने एक समारोह के दौरान कुछ विधायकों को अविश्वास प्रस्ताव में शामिल न होने की धमकी दी थी.

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