देहरादून। लगातार हो रही भारी बारिश के चलते उत्तराखंड की नदियों में अत्यधिक सिल्ट जमा हो गई है, जिसके कारण राज्य की नौ प्रमुख जल विद्युत परियोजनाओं को सोमवार को आपात रूप से बंद करना पड़ा। इससे राज्य में 646 मेगावाट बिजली उत्पादन ठप हो गया और शाम होते-होते पूरे राज्य में आपात बिजली कटौती लागू करनी पड़ी।
यूजेवीएनएल के अनुसार सोमवार दोपहर सबसे पहले उत्तरकाशी स्थित मनेरी भाली प्रथम और द्वितीय परियोजना को बंद किया गया। इसके बाद चौकीदून क्षेत्र के छिबरो, खोदरी, ढकरानी, ढालीपुर, कुल्हाल और व्यासी पनबिजली घरों को सिल्ट अधिक होने के कारण चरणबद्ध तरीके से बंद किया गया। अंत में ऊधमसिंहनगर स्थित खटीमा पावर हाउस को भी उत्पादन रोकना पड़ा।
इन सभी परियोजनाओं के बंद होने से प्रदेश के बिजली तंत्र पर अचानक बड़ा दबाव आ गया। उत्पादन घटने के बाद यूपीसीएल ने ग्रिड से अधिक बिजली लेने का प्रयास किया, लेकिन ग्रिड से ज्यादा खींचतानी करने पर फ्रीक्वेंसी गिरने का खतरा देखते हुए यह विकल्प भी बंद हो गया। इसके बाद कंपनी ने राज्यभर में आपात बिजली कटौती लागू कर दी।
शाम सात बजे से लागू की गई इस कटौती के तहत देहरादून नगर क्षेत्र को छोड़कर डोईवाला, सेलाकुई, सहसपुर, ऋषिकेश, श्यामपुर, रायवाला समेत अधिकांश ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों की आपूर्ति बंद कर दी गई। हरिद्वार, ऊधमसिंहनगर, नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा, बागेश्वर समेत अधिकांश जिलों में बिजली रातभर आती-जाती रही।
उद्योगों को भी रोस्टरिंग के तहत कटौती का सामना करना पड़ा। कई स्थानों पर बिजली पूरी रात गुल रही, जिससे आमजन को भारी परेशानी झेलनी पड़ी। खासकर गर्मी और उमस के बीच बिजली का जाना लोगों के लिए भारी साबित हुआ।
विद्युत विभाग के अधिकारियों का कहना है कि नदियों में गाद की अधिकता से टरबाइनों को नुकसान का खतरा होता है, इसलिए परियोजनाओं को बचाने के लिए उन्हें तत्काल बंद करना पड़ा। मौसम सामान्य होने और सिल्ट स्तर घटने के बाद ही बिजली उत्पादन फिर से शुरू किया जा सकेगा।
फिलहाल विभागीय टीमें हालात पर नजर बनाए हुए हैं और स्थिति सामान्य होने तक बिजली कटौती जारी रह सकती है। उपभोक्ताओं से अपील की गई है कि वे धैर्य रखें और अनावश्यक विद्युत उपयोग से बचें।