दिल्ली विधानसभा चुनावों में राष्ट्रीय राजधानी की सभी 70 सीटों पर मतदान चल रहा है.सत्ताधारी “आप” लगातार चौथी बार सरकार बनाने का रिकॉर्ड बनाने की उम्मीद कर रही है, लेकिन क्या इस बार भी “आप” है दिल्ली की पहली पसंद?इस बार दिल्ली में विधानसभा चुनाव कथित “शराब घोटाले” की छाया में हो रहे हैं, जिसके चक्कर में “आप” मुखिया अरविंद केजरीवाल समेत पार्टी के कई नेताओं को जेल जाना पड़ा.कई महीने जेल में बिताने के बाद केजरीवाल को जमानत पर रिहा तो कर दिया गया लेकिन रिहाई के बाद केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया.इन चुनावों में केजरीवाल अपनी पुरानी सीट नई दिल्ली से लड़ रहे हैं.
पार्टी के चुनावी अभियान का नारा रहा है “केजरीवाल आएंगे” यानी पिछले करीब 12 सालों की तरह इस बार भी पार्टी चुनाव केजरीवाल के नाम पर ही लड़ रही है.पार्टी को उम्मीद है कि 2015 और 2020 की तरह इस बार भी दिल्ली की जनता केजरीवाल को ही चुनेगी.रिकॉर्ड की तलाशइस बार अगर आप फिर से चुनाव जीतती है तो यह दिल्ली के राजनीतिक इतिहास में एक नया रिकॉर्ड होगा.आप ने पहली बार 2013 में विधानसभा चुनाव लड़े थे और 28 सीटें जीती थीं.तब पार्टी ने कांग्रेस के साथ मिल कर सरकार बनाई थी और केजरीवाल पहली बार मुख्यमंत्री बने थे.यह सरकार सिर्फ 48 दिन चली.
2015 में आप ने 67 सीटें जीत कर बहुमत से सरकार बनाई.2020 में पार्टी की सीटें कुछ कम हुईं लेकिन फिर भी 62 सीटें जीत कर आप ने एक बार फिर सरकार बनाई और केजरीवाल तीसरी बार मुख्यमंत्री बने.इसी के साथ उन्होंने कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के रिकॉर्ड की बराबरी कर ली थी.दीक्षित ने 1998 से 2013 के बीच लगातार तीन बार कांग्रेस को चुनावों में जीत दिलाई और लगातार तीन बार मुख्यमंत्री बनीं.अगर आप इस बार फिर जीतती है तो पार्टी लगातार चौथी बार सरकार बनाएगी.
अगर केजरीवाल फिर से मुख्यमंत्री बनेंगे तो यह उनका चौथा कार्यकाल होगा.हालांकि, यह उनका लगातार चौथा कार्यकाल नहीं होगा, क्योंकि 2024 में उनके इस्तीफे के बाद आतिशी को मुख्यमंत्री बना दिया गया था.”आप” के लिए कठिन दौरआप इन चुनावों में कई चुनौतियों का सामना कर रही है.केजरीवाल और पूर्व उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया जैसे पार्टी के शीर्षस्थ नेता घोटाले के आरोप और जेल की सजा की छाया में चुनाव लड़ रहे हैं.