देहरादून।
जोगीवाला के बद्रीपुर स्थित प्राचीन शिव मंदिर परिसर के सत्संग भवन में शिव महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ के अवसर पर भक्त जन भावविभोर नजर आये। प्रात:काल मंदिर परिसर से कलश यात्रा निकाली गई। अपरान्ह में कथावाचक आचार्य पंडित पुरूषोत्तम उनियाल ने कथा का शुभारंभ करते हुए कहा कि शिव महापुराण का मूलमंत्र ओम नमों शिवाय है,जिसे पंचाक्षरी भी कहा जाता है। इसके जाप करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है और यह जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने में भी सहायक है। कहा कि भक्ति में शक्ति होती है। भक्ति – समर्पण,प्रेम और विश्वास का एक रूप है जो मनुष्य को ईश्वर से जोड़ता है। भक्ति मनुष्य के अंदर एक मजबूत आध्यात्मिक शक्ति का संचार करती है। चातुर्मास के महत्व पर चर्चा करते हुए कहा कि यह अवधि साधना,व्रत और धार्मिक कार्यों के लिए महत्वपूर्ण मानी जाती है। इस मास में भगवान शिव व देवी पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। धार्मिक मान्यताओं में साकार का अर्थ है भगवान का एक विशिष्ट स्वरूप और निराकार वह है जो हम सिर्फ अनुभव करते हैं। साधक वह व्यक्ति है जो प्रभु प्राप्ति के लिए साधना करता है और विभिन्न धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गों का अनुसरण करता है। क्षेत्रीय पार्षद वीरेंद्र वालिया और साईं सृजन पटल के संयोजक प्रो.के.एल.तलवाड़ ने क्षेत्रवासियों से आग्रह किया है कि पवित्र श्रावण मास में अवश्य कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित करें। कथा नित्य 3 से 6 बजे तक आयोजित होगी और समापन पर आठ अगस्त को भंडारे का आयोजन होगा।